श्री बाबा मोहनराम आश्रम कृष्णतीर्थ,

उत्तरप्रदेश - भारत

श्री बाबा मोहन राम साठिका

Shree Baba Mohan Ram Saathika

ॐ गणेशाम्बिकाभ्यां नमः|

दोहा - जो यह साठिका पढ़े नित , गुरु तेजबीर कहै विचारि ।
पड़े ना संकट बढ़े सुख समृद्धि साक्षी हैं भोले त्रिपुरारी । ।

जय जय मोहनराम जगवंदन । जय जय वासुदेवकी नंदन । । 1 । ।
जय जय यशोदा सुत नन्ददुलारे । जय जय प्रभु भगतन रखवारे । । 2 । ।
जय जय नट नागर नाग नथैया । कृष्ण कन्हैया धेनू चरैया । । 3 । ।
पुनि नख पर प्रभु गिरवर धारो । आके दीनन कष्ट निवारो । । 4 । ।
जय जय मोहन खोली वासी । अखिल लोक स्वामी अविनासी । । 5 । ।
जय जय मोहन राम भगवाना । करुणा सागर कृपा निधाना । । 6 । ।
श्री दर्शन महिमा अति भारी । आते नित लाखों नर नारी । । 7 । ।
बाबा के दर्शन सुखकारी । है खोली की शोभा भारी । । 8 । ।
वेद पुराण शास्त्र यश गावे । अति दुर्लभ दर्शन बलतावे । । १ । ।
जिन पर प्रभु कृपा करते । उनको यहां दर्शन मिलते । । 10 । ।
श्री कृष्ण जी के कलियुग अवतारी । भक्तों पर कृपा है भारी । । 11 । ।
मोहनी मूरत बहुत प्यारी । नील घोड़े की असवारी । । 12 । ।
भक्तों के काज सवारे । कलियुग में साधु रूप धारे । । 13 । ।
जो बाबा का जोहड़ छांटे । भर भर मुट्ठी शक्कर बांटे । । 14 । ।
धूने पर प्रसाद चढ़ावे । सकल मनोरथ पूर्ण हो जावे । । 15 । ।
तीर्थ प्रसाद भगत जो पावे । आवागमन से मुक्त हो जावे । । 16 । ।
चौरासी में फिर नहीं आवे । जो प्रसाद खीर का खावे । । 17 । ।
सुख सम्पति मनवांछित फल पावे । फिर बैकुण्ठ लोक में जावे । । 18 । ।
भूत पिशाच संकट नहि आवे । जो बाबा का ध्यान लगाये । । 19 । ।
बाबा है कृष्ण का अवतारा । महिमा जानत है जग सारा । । 20 । ।
श्री लोक बैकुण्ठ निज तजकर । प्रकट हुए खोली पर्वत पर । । 21 । ।
अमृत कुण्ड में जो कोई नहावे । सकल पाप नष्ट हो जावे । । 22 । ।
जल आचमन से कटे बीमारी । उनको पुण्य मिलता है भारी । । 23 । ।
तुम्हारी परिक्रमा जो कोई लगावे । तीन लोक की परिक्रमा हो जावे । । 24 । ।
पेट पलनिया जो कोई लगावे । उनकी मनोकामना पूर्ण हो जावे । । 25 । ।
तेरी जोत में घी चढ़ावे । सकल सुख सम्पति पावे । । 26 । ।
देव ऋषि तपस्वी गुण गावें । बिन मांगे सब कुछ मिल जावे । । 27 । ।
सकल सृष्टि के प्राणी आवे । विराट रूप तेरे दर्शन पावे । । 28 । ।
चुग्गा जलहरी रोज करे । जोत अरू तेरा ध्यान धरे । । 29 । ।
तेरे भजन का अमृत पान करे । उनके घर में सदा वास करे । । 30 । ।
नोत ग्वालिया जो कोई जिमावे । तुरन्त मनोकामना पूर्ण हो जावे । । 31 । ।
कानन कुण्डल नैन विशाला । मोर मुकुट वैजन्ती माला । । 32 । ।
माखन मिश्री खाने वाले । भक्तों की लाज रखने वाले । । 33 । ।
लटा तुम छिटकायै रहे । मुरली पर्वत पर बजाये रहे । । 34 । ।
तुमने इन्द्र का मान है मारा । ब्रज बचायो था सारा । । 35 । ।
गोपीयों के संग रास रचाया । जिसे देखने गोपेश्वर महादेव आया । । 36 । ।
रुकमणि की बन्द छुड़ायो । शिशुपाल को स्वर्ग पठायो । । 37 । ।
दुर्योधन की त्यागी मेवा । खाया साग विदराणी घर सेवा । । 38 । ।
मात यशोदा का भ्रम मिटाओ । मुख माहि त्रिलोक दिखलाओ । । 39 । ।
कर्म को महान बताया । अर्जुन को गीता उपदेश सुनाया । । 40 । ।
दीन सुदामा के तेन्दुल खाये । दो लोक का राज पाठाये । । 41 । ।
राणा भेजी सांप पिटारी । फूलों की माला बने बनवारी । । 42 । ।
मीरा पी गयी विष का प्याला । बना अमृत कृष्ण गोपाला । । 43 । ।
बटलोई का चावल खाया । दुर्वासा को तृप्त कराया । । 44 । ।
द्रोपदी ने टेर लगायी । दीनानाथ ने लाज बचायी । । 45 । ।
गज ग्रह युद्ध हआ बड़ा भारी । मार ग्रह गज की विपदा टारी । । 46 । ।
धन्ना जाट की करि सहाई । बिन बीज फसल उपजाई । । 47 । ।
नरसी का तूनै भात भराया । सिरसा में स्वर्ण मैह बरसाया । । 48 । ।
सैन नाई की करि सहाई । नामदेव की तन्नै छान छवाई । । 49 । ।
धूना रमाया लिया चिमटा हाथ में । नीला घोड़ा तेरे साथ में । । 50 । ।
पावन धान हलालपुर बनाया । अजब निराली रच दी माया । । 51 । । ।
दर्शन करती प्रजा सारी । अखण्ड ज्योत में शक्ति भारी । । 52 । ।
दोज व्रत करे जो सेवा । सकल ऐश्वर्य और पावे मेवा । । 53 । ।
मोहनराम अनन्त अविनाशी । तुम हो घट - घट वासी । । 54 । ।
मोहनराम एक आस है थ्यारी । दूर करो संकट मम भारी । । 55 । ।
अन्धे को आंख कोढ़ी को काया । बांझन को पुत्र निर्धन का माया । । 56 । ।
सकल जगत के तुम स्वामी । सबको फल देते अन्तमायी । । 57 । ।
योगी - मुनि ध्यान लगाये । नारद - शारद शीश नवावै । । 58 । ।
पूजा करू किस विधि तुम्हारी । क्षमा करो नाथ गलती हमारी । । 59 । ।
गुरु तेजबीर जी यह साठिका गायौं । महाप्रभु को तुम सदा पार लगायो । । 60 । ।

दोहा - मोहन समान दाता नहीं विपद निवारण हार । लज्जा मोरी राखियो नीले के असवार ।
अर्न्तयामी नाथ तुम , जीवन के आधार । जो तेरी शरण में आये सब को लगावे पार । ।

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