श्री बाबा मोहनराम आश्रम कृष्णतीर्थ,

उत्तरप्रदेश - भारत

श्री बाबा मोहनराम चालीसा

Shree Baba Mohan Ram Chalisa

ॐ गणेशाम्बिकाभ्यां नमः

आदि शक्ति तुम अलख निरंजन । निराकार नारायण दुःखभंजन । । 1 । ।
विधि से हारे मोहनराम पुकारे । खोलीवाला सबके काज संवारे । । 2 । ।
ज्ञान - बुद्धि यश सुख के दाता । संकट हरो बलदाऊ के भ्राता । । 3 । ।
बारह मास करूँ तोरी पूजा । शिव समान प्रिय मोहे न दूजा । । 4 । ।
अन्धे को आँख कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र निर्धन को माया । । 5 । ।
चुगा जलहेरी करे नित जोत । वंश बढ़े सुख सम्पति भोत । । 6 । ।
निराकर है ज्योति तुम्हारी । तिहूँ लोक फैली उजियारी । । 7 । ।
तुम संसार शक्ति जय कीन्हा । पालन हेतू अन्न धन दीना । । 8 । ।
धरयो रूप नृसिंह अचम्बा । प्रकट हुए फाड़कर खम्बा । । १ । ।
जब - जब भीड़ पड़ी भक्तों पर । बाबा खड़ा पायो तत्पर । । 10 । ।
हलालपुर में ज्योति तुम्हारी । तुम्हें सदा पूजे नर - नारी । । 11 । ।
करो कृपा हे खोली वाले । सारे जग के तुम रखवाले । । 12 । ।
महिमा अपरम्पार तुम्हारी । यश गाती दुनिया सारी । । 13 । ।
तुम्हारी शरण जो कोई आये । कटे संकट सुख - समृद्धि पावे । । 14 । ।
तुम महाकाल , लक्ष्मी अरू काली । तुम्हारी दिव्य ज्योति निराली । । 15 । ।
खोली धावे मोहनराम पावे । धन सन्तान कीर्ति सदा फहरावे । । 16 । ।
दरिद्र कष्ट मिटै सब पीरा । नाशै दुःख हरे भव पीरा । । 17 । ।
सन्ततिहीन सुसन्तति पावे । सुख सम्पति दौज मनावे । । 18 । ।
भूत पिशाच सब भय खावे । यम के दूत निकट नहीं आवे । । 19 । ।
जो सुहागिन सुमरे चित लाई । अखण्ड सुहाग सदा सुखदाई । । 20 । ।
घर वर सुखप्रद लहैं कुमारी । करे दोज व्रत नेम व्रतधारी । । 21 । ।
अष्ट सिद्धि नवधिनि के दाता । सब समर्थ तुम भाग्य विधाता । । 22 । ।
ऋषि मुनि तपस्वी जोगी । ध्यान धरत गृहस्थ अरू योगी । । 23 । ।
बाबा मोहनराम परम पुनीता । इसमें बसे शास्त्र अरू गीता । । 24 । ।
जा पर कृपा तुम्हारी होई । ता पर कृपा करे सब कोई । । 25 । ।
सुमरिन करे सुरूचि बड़भागी । पूर्ण मनोरथ किस्मत जागी । । 26 । ।
जो मोहन राम के भजन करावे । ताके घर कलियुग ना आवे । । 27 । ।
गृह नक्षत्र ब्रह्माण्ड तारे । गतिवान तुमसे सारे । । 28 । ।
तुम्हें जान रहे न शेषा । तुम्हें पाये रहे न कलेषा । । 29 । ।
सकल स्रष्टि के प्राण विधाता । पालक , पोषक , नाशक , त्राता । । 30 । ।
चारों वेद महिमा गावे । तुम्हारा पार कोई न पावे । । 31 । ।
मोहन राम रचि अद्भुत माया । खोली धाम हलालपुर बनाया । । 32 । । ।
तेरा भेद कोई नहीं पाया । जग में विश्वास सभी को आया । । 33 । ।
कृष्ण रूप अवतार ये तेरा । गुरु तेजबीर जी के वंश तेरा बसेरा । । 34 । ।
तूने हलालपुर धाम बनाया । घोड़े समेत यहाँ आया । । 35 । ।
मोहनराम की जपे माला । उन पर कृपा करे गोपाला । । 36 । ।
जो किसी से नहीं हो पाया । तुमने कर वहीं दिखलाया । । 37 । ।
दुनिया ने शीश नवाया । कलियग का भगवान कहलाया । । 38 । ।
जो श्री तेजबीर महाप्रभु जी से दीक्षा पावे । सो जीवन को सफल बनावे । । 39 । ।
सकल मनोरथ पूर्ण हो जावे । जो बाबा मोहन राम का चालीसा गावे । । 40 । ।

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः महामंत्र यह जान ।
भक्ति करे जो प्रेम से पावे यश और मान । ।

Back to Home Page

Voluntary Contribution

Support Vedic Astrology | Please Contribute