श्री बाबा मोहनराम आश्रम कृष्णतीर्थ,

उत्तरप्रदेश - भारत

कथा बाबा मोहनराम जी काली खोली वाले की

Katha Shree Baba Mohan Ram

(इस कथा में १ -१७ तक कलियुग का वर्णन है तथा इसके बाद बाबा मोहन राम जी के अवतार की कथा है |

ॐ गणेशाम्बिकाभ्यां नमः|

1 . तीर लगा श्रीकृष्णजी को, हो गये अंतर्ध्यान ।।
2. भू - लोक हुआ अवतार विहीन, लौट गये परमधाम । ।
3 . अधर्म बढ़ाऔर धर्म घटा, हुई जग में हा हा कार । ।
4. दुर्दशा देख जगत की देवता करे विचार । ।
5 . नाम लेने से भगत डरे, दुष्ट करे उत्पात । ।
6. उनसे हाल बुरा हुआ - जैसे भृगू मारी लात । ।
7 . ऊँट , बैल , घोड़ा , छूट गये , कटी दूधारू गाय । ।
8. कुत्ते बिल्ली के भाव बढ़े , नहीं रही देशी गाय । ।
9 . सत , तप , दया , छूट गई , धर्म बचा बस दान । ।
10. आतंकवाद बढ़ा भू - लोक में सोच बनी नादान । ।
11 . लड़ाई झगड़े घर - घर बढ़े , रही ना शर्म लिहाज । ।
12. रिश्ते नाते भंग हुये , ना रही कुल की लाज । ।
13 . संध्या हवन , भजन छुट गये . हो गये बारह बाट । ।
14. गीता , वेद , उपनिषद छुट गये , छूटी कलम , तख्ती , टाट । ।
15 . गुरु शिष्य परम्परा टूट गई , रही ना श्रद्धा भाव । ।
16. गुरुकुल आश्रम छुट गये , सरकार डूबी प्याज के भाव । ।
17 . जात - पात धर्म छुट गया , छुटा सभी समाज । ।
18. रीति रिवारज सब छुट गई, ना रही देश की लाज । ।
19 . सास - ससुर जेठ - जिठानी , सब रिश्ते हुये बीरान । ।
20. बेटा - बेटी , के देख कर्मों को बुजुर्ग हुये हैरान । ।
21 . चाल - ढाल , पहराव बदल गया , हो गये आप मुहार । ।
22. राम - रहीम , दुआ - सलाम छुटी , हैलो -हैलो करें पुकार । ।
23 . चना - गवार , मौठ छुट गई , हुई बंजर भूमि मालदार । ।
24. उपजाऊ भूमि पर बसी कालोनी , हुई किसान कर्जदार । ।
25 . विश्वास घटा सरकारी स्कूलों का , शिक्षक रहे ना जिम्मेदार । ।
26. शिक्षा बढ़ी प्राइवेट स्कूलो में , बने बच्चे होनहार । ।
27 . रुतबा घटा सरकारी सेवा का , बने निजी संस्थान । ।
28. गुलम बना देश कम्पनियों का , आत्मनिर्भर नहीं किसान । ।
29 . जंगल के शेर घटे , शेयर बढ़े पवन की चाल । ।
30. औंधे मुंह शेयर गिरे , अर्थव्यवस्था का बुरा हाल । ।
31 . औरत मर्द करे नौकरी , फिर भी नहीं गुजारा ।।
32. औरत बनी देश की राजा , मर्द बना बेचारा । ।
33 . कलियुग का बुरा हाल देखकर , सभी देवता घबराये ।।
34. कहे गुरु तेजबीर सिंह , युक्ति पूछने श्री विष्णुजी के धाम आये । ।
35 . सुन बात देवताओं की , श्री विष्णुजी ध्यान मग्न हुये ।।
36. धर्म बचावन , भक्त उभारन खुद नीले पर असवार हुये । ।
37 . प्रगट होने हेतु मृत्यु लोक में जाने लगे ।।
38. भारत की देव भूमि अरावली पर्वत को देखने लगे । ।
39 . राजा भृतहरि , गोपीचन्द ने यहां की थी तपस्या भारी ।।
40. गुरु गोरखनाथ ने धूना रमाया , यहां धूम मची थी भारी । ।
41 . उमापति शिव शंकर का यहां पर बना कैलाश ।।
42. सारे देव इकट्ठा हुये , पहाड़ पर बना तालाब । ।
43 . पूरण भगत , बाबा बालक नाथ ने यहीं पर योग पाया ।।
44. इसी पहाड़ी अरावली पर खुद बालाजी चल कर आया । ।
45 . द्वापर में इसी पाहाड़ी पर पांडवों ने भैरो मन्दिर बनवाया ।।
46. बालक नाथ को दर्शन देकर कालका माई ने अपना धाम बनवाया । ।
47 . नौ नाथ चौरासी सिद्धों ने यही की थी तपस्या भारी ।।
48. ब्रह्मा विष्णु महेश की शक्ति , हई स्थापित सारी । ।
49 . इन्द्रासन से उतर कर पर्वत में समा गया नीले का असवार । ।
50. सन् 1528 में प्रकट हआ काली खोली का सरदार । ।
51 . माघ माह कृष्ण पक्ष की थी वो तिथि दोज निराली । ।
52. दिन बुधवार अमर जोत जगी बाबा की , हुई रोशन काली खोली । ।
53 . बाबा के प्रताप से हुई चोगर दहे हरियाली । ।
54. पी पी मोर पपीहा बोले कूके कोयल काली । ।
55 . खोली में वहाँ गाय चराता , एक नन्दू बाहाण ग्वाला । ।
56. शुद्ध आत्मा थी नन्दू की , सूरत का भोला भाला ।
57 . नन्दू ग्वालों को कथा सुनाता , कैसे प्रकट हुये नृसिंह अवतारी ।।
58. नरसी भक्त का भात गाता ऐसे थे श्री कृष्ण मुरारी । ।
59 . अपने दर्शन देने को बाबा ने विधि विचारी ।।
60. अपनी योग माया से एक अद्भुत गाय उतारी । ।
61 . माया रूपी गाय जा मिली गौओ के संग ।।
62. नन्दू ग्वाला देख गाय को एकदम हो गये दंग । ।
63 . श्याम रंग की गाय थी वो कामधेनू का अवतार । ।
64. जब वापसी खोली में पहुंची , नन्दू करे विचार । ।
65 . पीछा करते गाय का नन्दू पहुँचा गुफा के पास ।।
66. देख नजारा अन्दर का हुआ नन्दू को विश्वास । ।
67 . आवाज सुनी अन्दर से आओ नन्दू मेरे पास । ।
68. जो मांगो वही दूंगा सदा रखयो हमसे आस । ।
69 . धूना देखा , साधु देखा , देखा नीला घोड़ा संग । ।
70. कहे गुरु तेजबीर सिंह नन्दू खड़ा त्रिलाकी के संग । ।
71 . हाथ जोड़ नन्दू खड़ा और थर - थर कांपे गात ।।
72. कौन दिशा से आये मालिक कौन दिशा को जात । ।
73 . ओ ब्राह्मण के छोकरे सुनयो हमारी बात । ।
74. हम जगत के कानून गो है कलम हमारे हाथ । ।
75 . हम भाग्य विधाता लख दाता है कुबेर भंडारी ।।
76. मैं श्रीराम , श्याम , नृसिंह , मैं हूँ लक्ष्मी पति अवतारी । ।
77. कलिकाल में , खोली में , मैं साधू बना लटाधारी ।।
78. ब्रज के अन्दर रास रचाईया मैं ही कृष्णा अवतारी । ।
79. भगत उभारू दुष्ट संहारू मैं ही धर्मा बचावन हार ।।
80. बिगड़ी बनाने जगत की मैंने लिया साधू रूप धार । ।
81. जगत का आदि अन्त मध्य मैं ही हूँ धर्म आधार ।।
82. वेद गीता में मैं ही हूँ , जग पालन हार । ।
83 . इन्द्रासन से आया हूँ हो नीले घोड़े पर सवार ।।
84. कथा मेरी दुनिया गायेगी जब तक रह संसार । ।
85 . सर्वव्यापी हूँ संसार में कण - कण में मेरा वास ।।
86. जब भगत याद करें तुरन्त खड़ा भक्तों के पास । ।
87 . मोहनराम नाम हें मेरा सिद्ध करूं भक्तों के काज ।।
88. चुग्गा जल हरी और ज्योति करे मिले संसारी राज । ।
89 . आई दौज मेरा करो भंडारा , जोत में घी चढ़ाओ ।।
90. जोहड़ छांटो , शक्कर बाँटों , ग्वालिया नोत जमाओ । ।
91. लगाओ जयकारे मेरे नाम के , बदल दूं सबकी तकदीर ।।
92. मेरे भगत के मुख से जो निकले , कर दू पत्थर काडू लकीर । ।
93 . दोज में करो जगरण , सदा बनाओ खीर ।।
94. देवी देवता प्रसन्न रहे , निरोगी रहे शरीर । । ।
95. हवन कीर्तन हो जिस घर में , दरिद्रता दुःख नहीं आयेगा ।।
96. अखंड जोत जले जिस घर में नाम अमर हो जायेगा । ।
97 . श्रीगणेश में ही हूँ , मैं ही हूँ सब देवन का देव ।।
98. अग्र पूजा करो हमेशा , करो गुरु की सेव । ।
99 . धूप दीप नैवैद्य चढ़ाओ और चढ़ाओ पंचमेवा ।।
100. चढ़ाओ ध्वजा , नारियल , करो गुरुओं की सेवा । ।
101 . यमुना नहाओ , गंगा नहाओ , नहाओ ब्रह्मसरोवर ।।
102. जहां गीता का उपदेश दिया करो दर्शन ज्योतिसर । ।
103 . बच्चे शिक्षा में निपुण होंगे , तुम सुनो अवन्तिका गाथा ।।
104. महाकाल के दर्शन करो , मेरे गुरु को टेको माथा । ।
105 . धूने में उफला चढ़े और चढ़े घी बताशा ।।
106. भूत प्रेत सब बाधा भागे हो जा सुख की आशा । ।
107 . अंधों को आंख , कोढिनी को काया , बांझनको पुत्र , निर्धनको माया ।।
108. दू तत्काल फल उसी को जो पेट पलनिया लगाकर मेरी शहण आया । ।
109 . जो नहीं किसी के बस की , मैं कर दूँ उसको सांच ।।
110. कह गुरु श्री तेजबीर सिंह , सदा रखी भक्तों की लाज । ।
111 . जो कुछ ना हो सके रटो , भगत बतावे जो मेरा नाम ।।
112. खड़ा मिलूं सदा पास , मैं सच्चा मोहनराम । ।
113 . हाथ जोड़ नन्दू कहे , सुनो द्वारका नाथ ।।
114. कहां तुम्हारा धाम है , कैसे मिले आपका साथ । ।
115 . साधु कहे नन्दू से मेरा पावन काली खोली धाम ।।
116. इन्द्रासन से आया हूँ , बिगड़े बनाऊ भक्तो के काम । ।
117 . तुम्हें राम कहूँ , या श्याम कहूँ या कहूँ द्वारकाधीश ।।
118. कैसा आशीर्वाद मुझे दोगे , कहो मेरे जगदीश । ।
119 . मेरा नाम ले नन्दू , जिसे दोगे जो आशीर्वाद ।।
120. तेरा वचन सत्य कर दू , दिये बांट प्रसाद । ।
121 . जब तक रहे सृष्टि और रहे शशि , रवि तारे ।।
122. मेरी गद्दी पर मेरे भगत करे दुःखों के निस्तारे । ।
123. जिस पर कृपा हो मेरी बनवाये मेरा धाम ।।
124. अन्न वंश की बेल हरी रही, अमर उसका नाम । ।
125 . सुन साधू की बात नन्दू मन ही मन हर साया ।।
126. कहें गुरु तेजबीर सिंह उसने सच्चा मोहनराम पाया । ।
127 . खोली से बाबा मोहन राम अपनी कुआईयाँ पर आया ।।
128. नया जोहड , गुल्लर की छाया जहां अद्भुत रास रचाया । ।
129 . बिन बिहाई बछईयां का दूध नन्दू से निकलवाया ।।
130. बना खीर प्रसाद बंटवाया नन्दू बहुत घबराया । ।
131 . ले खीर नन्दू संग बाबा भूडन के चौंतरे पर आये ।।
132. कहे गुरु तेजबीर सिंह ग्वालिया नोत जीमाये । ।
133 . इसी बीच बाबा जी ने शेखू को दर्श दिखाया ।।
134. इंद्रायन का फल देकर अपना मीरासी बनाया । ।
135 . राग कलावत सदा तू गावे , सदा मौज रहे घर में ।।
136. दुःख दरिद्रता नहीं सतावे , सदा ध्यान रहे तेरा हर में । ।
137 . बाबा ने नन्दू को पार उतारने की बतलाई तदबीर । ।
138. सवा रुपया भेंट सीरनी मेरी दोज बनाओ खीर । ।
139 . दर्शन देकर शीला जी को मिलकपुर मन्दिर बनवाया ।।
140. दुखियों के दुःख कटने लगे मिलकपुर धाम कहलाया । ।
141 . इसी बीच प्रेमदास को , दर्शन दे करी लीला भारी ।।
142. पांच रत्न जमीन से निकले हुई अद्भुत लीला न्यारी । ।
143 . सालवास के मन्दिर में आज भी रक्खी चीजें सारी ।।
144. चीज देखकर ऐसा लगता कथा कह रही सारी । ।
145. जिस घर में लगे जयकारे और राग कलावत गावे ।।
146. कहे गुरु तेजबीर सिंह वो मन वांछित फल पावे । ।
147. गांव हलालपुर में दर्शन देकर अपना मन्दिर बनवाया ।।
148. शुद्ध आत्मा देख आपने गुरु तेजबीर को भक्त बनाया । ।
149 . धाम हलालपुर में बाबाजी ने रची अद्भुत माया ।।
150. विश्व गुरु का ताज देकर इन्हें गद्दी पर बैठाया है । ।
151 . फिर दर्शन देकर गुरु तेजबीर को धन्ना जाट का मन्दिर बनवाया ।।
152. अमृतकुण्ड में प्रकट हो गयी भोगवती गंगा तेरी माया । ।
153 . लक्ष्मीजी का वास यहाँ भक्त करे तपस्या भारी ।।
154. लाल ध्वजा लहरावे मन्दिर है नीले की असवारी । ।
155 . अमृत जल पीने से कटे सकल बिमारी ।।
156. करे परिक्रमा शीश झुकावे फल मिलता भारी । ।
157 . गुरु गद्दी को आशीर्वाद दिया वचन होगा साँच ।।
158. व्रत करो दोज का सिद्ध हो मनोरथ काज । ।
159 . गुरु तेजवीर के साथ रहूँ कभी ना पाटू न्यारा ।।
160. धाम हलालपुर में है बाबाजी सबका सहारा । ।
161 . शिव शंकर कैलाश पति संग है अन्नपूर्णा की माया ।।
162. द्वादशज्योर्ति लिंग दर्शन से सिद्ध मनोरथ अरू काया । ।
163 . गुरु कृपा से महाप्रभुने कथा कह दी सारी ।।
164. खोली वाले बाबा संग राधा की भक्ति भारी । ।
165 . सारी शक्ति दी गुरु में बढ़ाई शोभा न्यारी ।।
166. बाबा के आशीर्वाद से गुरु तेजबीर सिंह बने पुजारी । ।
167 . दुनिया के दुःख दूर होने लगे , कटने लगी बीमारी ।।
168. भक्त दूर - दूर से आवे लगता मेला भारी । । ।
169 . महाप्रभु के सिंहासन में बाबा की शक्ति सारी ।।
170. गुरु मुख से जो वचन निकले , करे सांच मुरारी । ।
171 . सभी देव पधारे धाम में , अन्नपूर्णा संग भोला ।।
172. सभी मनोरथ पूर्ण हों सभी काम बने सोला । ।

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