इन्द्रप्रस्थ धर्मपीठाधीश्वर अनन्त श्री विभूषित जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी प्रभानन्द सरस्वती जी महाराज ने बाबा मोहनराम आश्रम कष्णतीर्थ की उपरोक्त अपने शब्दों में आरती एवं प्रार्थना की है । उनका मानना था कि यह देवभूमि , महर्षि वेद व्यास ( यमुना दीप ) की जन्मभूमि , तपोभमि एवं कर्मभूमि है श्रीमद्भागवत की रचना भूमि है । यहाँ पर महर्षि वेदव्यास जी का आश्रम इसी व्यास झील के किनारे रहा है । यह भगवान कृष्ण की कर्मभमि, महात्मा विदर की तपोभूमि एवं नागा महात्माओं की साधना - स्थली है । श्री शंकराचार्य महाराज जी का मानना था कि यहाँ समस्त देवी, देवतायो आदिदेव गौरी - शंकर भगवान परिवार सहित, स्वयं श्रीकृष्ण भगवान का निवास है | इस अमृत कण्ड में भगवान विष्णु माता लक्ष्मी सहित शेषनाग शैय्या पर विराजमान हैं तथा गंगा माता जी यहाँ प्रकट हुई है । माता यमुना जी यहाँ भगवान श्रीकृष्ण जी साथ विराजमान है । इस देवभूमि पर देश - विदेश के हजारो सन्त , महात्मा , विद्धानों एवं सभी धर्मों के धर्माचारी दिनांक 13 - 4 - 2012 को द्वादश महाभागवत अवतार जगद्गुरु धन्नाजाट महाप्रभु जी की जयन्ती पर विश्व सन्त समागम में पधारकर इस भूमि को धमभूमि, देवभूमि सिद्ध किया है । जो व्यक्ति बाबा मोहनराम आश्रम के इस कृष्णतीर्थ की उपरोक्त आरती प्रतिदिन करेगा । सुबह उठकर कृष्णतीर्थ ! कृष्णतीर्थ पुकारेगा, हे कृष्णतीर्थ मैं आपकी शरण में हूँ मेरी रक्षा कीजिए , मेरी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण कोजिए, ऐसा कहेगा । उनका घर कलिकाल की बाधा से मुक्त रहेगा तथा उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होगी । यह जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी प्रभानंद जी का मत है |
बाबा मोहन आश्रम का, यह कृष्णतीर्थ बलिहारी । जयकृष्ण०
यहाँ तपस्या कीन्ह देवमुनि, धर्मभूमि है न्यारी । जयः ।
यहाँ अखंड दीप जलता हे, सबके मन प्रकाश भरता है ।
रोंगदोष सब शांत होत हैं, अमृतवुड बहता है ।
विदुर महात्मा तपस्थली है, यहाँ बसे थे कृष्णमुरारी ।जयः ।१
बोलो धर्मपीठ जैकारा, विश्वगुरु श्री ओंकारा |
दीप ज्योति दर्शन से होता, भवबन्धन छुटकारा
जय कृष्णतीर्थ जय सिद्धपीठ जय अमृतकुंड सुखकारी ।जयः ।२
जीवन सफल करो भक्तों सब, सकलमनोरथ सिद्ध करो ।
धर्म अर्थ अस काम मोक्ष की सुख सम्पत्ति भरो ।
यहाँ मिलत है कृष्णकृपा की सिद्धि ऋद्धि भारी । जयः ।३
जो आरति दर्शन करता है, पुण्यों का फल पाता है ।
आनंद से जीवन भरता है, देवभाव जगता है ।
कहत प्रभाकर मिश्र मिटालो कलियुग की अंधयारी ।जयः ।४
जय कृष्णतीर्थ बलिहारी जय सिद्धपीठ भयहारी ।
श्रृंगेरी मठ भारत के दक्षिण में चिकमंगलुुुर में स्थित है।
गोवर्धन मठ भारत के पूर्वी भाग में ओडिशा राज्य के जगन्नाथ पुरी में स्थित है।
शारदा (कालिका) मठ गुजरात में द्वारकाधाम में स्थित है।
उत्तरांचल के बद्रीनाथ में स्थित है ज्योतिर्मठ।
सनातन धर्म का सबसे आरम्भिक स्रोत है। इसमें १०२८ सूक्त हैं, जिनमें देवताओं की स्तुति की गयी है। इसमें देवताओं का यज्ञ में आह्वान करने के लिये मन्त्र हैं। —ऋग्वेद
सामवेद चारों वेदों में आकार की दृष्टि से सबसे छोटा है और इसके १८७५ मन्त्रों में से ६९ को छोड़ कर सभी ऋगवेद के हैं। गीत-संगीत प्रधान है। —सामवेद संहिता
ये हिन्दू धर्म के चार पवित्रतम प्रमुख ग्रन्थों में से एक है और अक्सर ऋग्वेद के बाद दूसरा वेद माना जाता है - इसमें ऋग्वेद के ६६३ मंत्र पाए जाते हैं। —यजुर्वेद
अथर्ववेद संहिता हिन्दू धर्म के पवित्रतम वेदों में से चौथे वेद अथर्ववेद की संहिता अर्थात मन्त्र भाग है। इसमें देवताओं की स्तुति के साथ, चिकित्सा, विज्ञान और दर्शन के भी मन्त्र हैं। —अथर्ववेद संहिता
यह पथ सनातन है। समस्त देवता और मनुष्य इसी मार्ग से पैदा हुए हैं तथा प्रगति की है। हे मनुष्यों आप अपने उत्पन्न होने की आधाररूपा अपनी माता को विनष्ट न करें। —ऋग्वेद-3-18-1
बद्रीनाथ अथवा बद्रीनारायण मन्दिर भारतीय राज्य उत्तराखण्ड के चमोली जनपद में अलकनन्दा नदी के तट पर स्थित एक हिन्दू मन्दिर है। यह हिंदू देवता विष्णु को समर्पित मंदिर है
द्वारका गुजरात के देवभूमि द्वारका जिले में स्थित एक नगर तथा हिन्दू तीर्थस्थल है। यह हिन्दुओं के साथ सर्वाधिक पवित्र तीर्थों में से एक तथा चार धामों में से एक है। यह सात पुरियों में एक पुरी है।
पुरी का श्री जगन्नाथ मंदिर एक हिन्दू मंदिर है, जो भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण) को समर्पित है। यह भारत के ओडिशा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित है।
यह तमिल नाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। यह तीर्थ हिन्दुओं के चार धामों में से एक है। इसके अलावा यहां स्थापित शिवलिंग बारह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है।
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